Monday, August 29, 2011
रौशनी
ऐ चाँद ऐ तारे कब तक इस शोषण भरी पूंजीवादी व्यवस्था को रौशनी देता रहेगा
अपने साथी सूरज को बोल जला दे इस व्यवस्था को और समाजवाद को कायम कर
उजाला दे और कायम कर शोषण मुक्त रौशनी
-अमित कोम्पनेरो
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